वैक्सीन लगवाने के बाद न करें ऐसी गलती, भारी पड़ सकती है जान - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Sunday, May 9, 2021

 

वैक्सीन लगवाने के बाद न करें ऐसी गलती, भारी पड़ सकती है जान 

'हमसफर मित्र न्यूज' 


कोरोना के वैक्सीन लगवाने के बाद लोग यह सोच लेते हैं कि अब मैं सुरक्षित हो गया हूं, तो ये गलत है। अगर कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद आप भी ये सोच रहे हैं कि आप कोरोना से सुरक्षित हैं और आपको सावधानी बरतने की जरूरत नहीं, तो ये आपकी गलतफहमी है. इससे आप अपनी जान तो जोखिम में डाल ही रहे हैं, लेकिन उन लोगों को भी बीमार कर सकते हैं जो आपके बेहद करीब हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाने वाले लोग ही महामारी के साइलेंट स्प्रेडर बन रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की है.


साइलेंट स्प्रेडर उन लोगों को कहा जाता है जो खुद तो कोरोना का शिकार होते हैं लेकिन उनमें बीमारी का कोई भी लक्षण न होने की वजह से इस बात का पता भी नहीं चलता कि वह कितने लोगों की जान रिस्क में डाल रहे हैं. बंगाल में इस तरह के तमाम केसेज सामने आए हैं, जिसमें वैक्सीन लगवाने के कुछ दिन बाद लोगों में कोरोना के लक्षण नजर आए और टेस्ट की रिपोर्ट भी पॉजिटिव रही. वे खुद एंटीबॉडी की वजह से बच गए लेकिन डॉक्टर्स को ऐसे केसेज में चिंता उन लोगों की है जो इस तरह के मरीजों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए और उन्हें पता भी नहीं चला.


इजराइल की एक स्टडी में ये बात सामने आई थी कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोग कोरोना वायरस की दूसरी तरह की स्ट्रेन की चपेट में आ रहे हैं. इसके पीछे की वजह विशेषज्ञों ने वैक्सीनेशन के बाद जल्दी ही मास्क और अन्य सावधानियों को छोड़ देना माना है या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वैक्सीनेशन सेंटर पर अपनी बारी का इंतजार करते हुए वे वायरस की चपेट में आए हों.


जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी, वे हुए ज्यादा बीमार


रिपोर्ट ये भी कहती है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीज वे हैं, जिन्हें वैक्सीन का शॉट अभी नहीं लगा है. कई मामलों में डॉक्टर्स ने आशंका जाहिर की है कि मरीजों को परिवार के उन सदस्यों से संक्रमण हुआ है, जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना हुआ लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखाई दिए.


क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि पहली डोज के 6 -8 हफ्ते के बीच एंटीबॉडी का निर्माण होता है. इस अवधि में अगर किसी को कोविड-19 का संक्रमण लगता है तो ज्यादातर लोगों को इसके लक्षण नहीं आते. ऐसे में वे खुद तो जान भी नहीं पाते कि वे संक्रमित हैं, लेकिन वे कोरोना कैरियर बन जाते हैं. स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में क्लिनिकल ट्रायल स्पेशलिस्ट शांतनु त्रिपाठी बताते हैं कि - 'वैक्सीन का मतलब ये नहीं कि संक्रमण नहीं फैलेगा. इसका मतलब है कि वायरस से लड़ने की आपकी रोगरोधक क्षमता बढ़ती है. ऐसे में आप वैक्सीन लगवाकर सुरक्षित हो सकते हैं लेकिन दूसरे नहीं हैं.'


वायरोलॉजिस्ट अमिर्दुल मलिक की इस बात का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज सही समय पर लेना जरूरी है. वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद आपके शरीर में एंटीबॉडी सबसे ज्यादा होती है लेकिन अगर दूसरी डोज समय पर नहीं ली जाती है तो ये एंटीबॉडी एक वक्त के बाद कमजोर पड़ने लगती है. ऐसे में लंबे समय तक सुरक्षित रहने के लिए 28 दिन के बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लेना भी जरूरी है. दोनों डोज लगवाने के बाद ही कोरोना के दूसरे म्यूटेंट्स से आप सुरक्षित हो सकते हैं. हालांकि इसके बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके ही आप अपने साथ-साथ दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं. इसमें मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना बेहद जरूरी है.

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