जय माता चंद्राघंटा देवी
पं. गणेशदत्त राजू तिवारी, मल्हार
'हमसफर मित्र न्यूज'
: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप यानी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। तृतीया तिथि आज दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। इसके बाद से चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। इनका वाहन सिंह है और दस हाथ हैं। इनके चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वहीं, चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है। मान्यता है कि भक्तों के लिए माता का यह स्वरू बेहद कल्याणकारी है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि:
इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय माता की चौकी पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर गंगाजल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी का घड़ा रख दें। इस पर नारियल रख दें। फिर पूजा का संकल्प लें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा समेत सभी देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। पूजा के दौरान आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। फिर सभी में प्रसाद बांट दें।
मां चंद्रघंटा के मंत्र:
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
इस मंत्र का जाप 11 बार करें।
ध्यान:
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
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