तांत्रिक विद्या के सिद्धीदातृ मां महामाया नवागढ़
नवागढ़ से दुजेय साहू
'हमसफर मित्र न्यूज'।
माँ महामाया, कल्चुरी राजवंश की कुलदेवी थी। नवागढ़ के राजा नरवरसाय ने माँ महामाया की मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवाया था। महामाया देवी की मूर्ति सिद्ध एवं जागृत है। तांत्रिक विद्या के लिए इन्हें सर्वप्रथम प्रतिष्ठित किया गया था।
इस मंदिर का अब तक 25 बार जीर्णोद्धार हो चुका है। 25वां जीर्णोद्धार का कार्य श्री सोनराज जी जैन द्वारा सन 1964 में कराया गया ।
नवागढ़ के महामाया जी की मूर्ति के बारे में कहा जाता है, जब मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, तो स्थापित मूर्ति को उस स्थान से नहीं हटाना था, चूंकि मंदिर की दीवार ढहने के कारण प्राचीन मूर्ति क्षतिग्रस्त ना हो, इस उद्देश्य से ग्राम के आचार्यों से विचार विमर्श कर मंदिर के निर्माण होते तक मूर्ति को तालाब के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे रख दिया।
मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद पुन: मां महामाया की मूर्ति को मंदिर में पुन: प्रतिस्थापित करने के लिए उठाने का जब प्रयास किया गया, तो मूर्ति हिली तक नहीं ।
तब हमारे गांव के देवी भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना अनुष्ठान से देवी जी का मान मनौव्वल व क्षमा प्रार्थना करने पर मूर्ति पुन: हल्की हो गयी। तत्पश्चात मां की कृपा से ही पुन: अपने प्राचीन जीर्णोद्धार हुए मंदिर में स्थापित हो गयी । जो आज भी है, इस तरह से मां महामाया हमारे ग्राम नवागढ़ का आस्था का केन्द्र है।
मुख्य मंदिर के निकट अन्य देवी देवताओं की मंदिर स्थापित है। मां महामाया देवी का उल्लेख श्री दुर्गा सप्तशती नामक पुराण में मिलता है ।
नवरात्रि में यहाँ सैकड़ो ज्योति-कलश प्रज्वलित किए जाते है।
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