रविवार को क्यों नहीं डालते हैं तुलसी में जल, जानिए धार्मिक कारण
प्रस्तुति - मनितोष सरकार (संचालक /संपादक)
'हमसफर मित्र न्यूज'।
प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा सुख-समृद्धि के वातावरण को बनाए रखने में बेहद उपयोगी माना गया है। कहा जाता है कि घर में किसी भी बुराई को दूर करने और किसी भी तरह का संकट आने से पहले तुलसी सारी विपदाओं को अपने ऊपर ले लेती हैं। इसलिए भारतीय संस्कृति में तुलसी हर घर में लगाई जाती है। भारतीय परंपरा में किसी वृक्ष या पौधों को अपने उपयोग के लिए लगाना, काटना या उसके पत्ते तोड़ना आदि के लिए नियम और समय तय किया गया है।
कई जगहों पर आज भी इस परंपरा का पालन किया जाता है। साथ ही देवताओं के पूजन आदि के लिए भी दिन तय किए गए हैं। इनमें से रविवार का दिन भगवान विष्णु को सबसे अधिक प्रिय माना जाता है। वहीं तुलसी भी विष्णुप्रिया मानी जाती हैं। इसलिए रविवार के दिन के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते हैं। दरअसल जब भी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है तो उसमें तुलसी का होना बेहद जरूरी है। अगर इनकी पूजा में तुलसी को न रखा जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है।
तुलसी और विष्णु के ही रूप शालीग्राम का विवाह भी देवउथनी एकादशी पर संपन्न कराया जाता है। वहीं सप्ताह के सातों दिनों में रविवार और मंगलवार को क्रूर तो शनि को अशुभ वार माना जाता है। रविवार के दिन तुलसी में जल देना निषेध किया गया है। साथ ही इस दिन तुलसी को जल भी नहीं दिया जाता है। इसलिए मंगल और शनिवार को भी तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध है, जो घर की सुख-समृद्धि के लिए आवश्यक है।
कहते हैं कि किसी भी पूजा-पाठ के दौरान भोग के रूप में भोग में तुलसी को डाला जाता है। क्योंकि मान्यता है कि इसके बिना भगवान का भोग अधूरा माना जाता है। साथ ही मान्यता यह भी है कि रविवार के दिन तुलसी जी विष्णु जी लिए व्रत रखती हैं। यही कारण है कि रविवार के दिन तुलसी में जल नहीं डालते हैं। एक अन्य धारणा के अनुसार विष्णु जी को रविवार का दिन प्रिय है और उनकी प्रिया तुलसी है। इसलिए रविवार के दिन तुलसी में जल नहीं डालना चाहिए।
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