बातों-बातों में: बंद हो बंद की राजनीति
गणेशदत्त राजू तिवारी की रिपोर्टः
बिलासपुर-अधिकांश व्यवसायियों को जीएसटी के विरोध के लिए बंद की राजनीति रास नहीं आई।
कोरोना संक्रमण के कारण उद्योग व व्यापार जगत अभी भी पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाया है। आर्थिक तंगी से व्यवसायी उबर नहीं पा रहे हैं। सरकार भी अपने स्तर पर तमाम कोशिशें कर रही है। इसी बीच कैट (कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स) ने अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को देशव्यापी बाजार बंद का आह्वान किया। हमारे अंचल की बात करें तो इसे बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली। बाजार की स्थिति को देखते हुए कैट का बंद कितना उचित और कितना अनुचित है यह तो बहस का विषय है पर अधिकांश व्यवसायियों को जीएसटी के विरोध के लिए बंद की राजनीति रास नहीं आई। लाकडाउन का वह भयावह दौर आज भी सब के जेहन में कैद है। कारोबार ठप हो गया था। राष्ट्रव्यापी संकट से उबर रहे व्यापार और उद्योग जगत को विरोध के बहाने कहां ले जाने का प्रयास है, अब इसे लेकर चर्चा हो रही है।
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