नवागढ़ में श्रीमद्भागवत कथा का संपन्न - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Wednesday, February 3, 2021




नवागढ़ मे श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सम्पन्न

नवागढ़ से दुजेय साहू की रिपोर्ट 

'हमसफर मित्र न्यूज'। 



नवागढ़। श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह को संबोधित करते हुए प्रवचन कर्ता पं. सूर्यभान चौबे  (पंडरभट्ठा वाले) जिला  मुंगेली जो कि संत कवि पवन दीवान के शिष्य हैं ने कहा कि मनुष्य के मरने के बाद दो चीजें साथ जाती है, यश और अपयश। अतः हम अपना जीवन दूसरों की भलाई एवं यश अर्जित करने में समर्पित करना चाहिए। यदि हम किसी का भला चाहते है तो हमारे साथ भलाई ही होगी और यदि किसी का बुरा सोचते है, तो हमारे साथ बुरा ही होगा। अतः पाजिटिव सोच रखें। अपनी कथा के दौरान उन्होंने कहा कि गरीब और असहाय मानव की सेवा करें, गौ-माता की रक्षा करें। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन को जो उपदेश दिया है, धर्म के मार्ग पर चलने, मोह का त्याग करने, दूसरों की भलाई करने की शिक्षा दी है। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि जब-जब धरती में अन्याय एवं अत्याचार बढ़ेगा, तब-तब मैं पापियों का संहार करने जन्म लूंगा। व्यासपीठ पर विराजित पं. पं. सूर्यभान चौबे ने नवागढ़ के सिविल लाईन रामनगर मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत यज्ञ में प्रतिदिन श्रोता वृन्द को सद्मार्ग में चलने की बात अपने प्रवचन के दौरान बतायी। उन्होंने कहा कि हम अपनी क्षमता अनुसार समय-समय पर समाज के विकास के लिए दान आदि कर अस्पताल, धर्मशाला, स्कूल आदि बनाने के लिए मदद भी करनी चाहिए। इससे लोगों का भला ही होगा। 

      मोहतरा (गाड़मोर) के निवासी ओमकार साहू एवं श्रीमती नीता साहू के परिवार द्वारा यह आयोजन किया गया। मुख्य यजमान के रूप में दिलीप साहू एवं दूजेराम साहू उपस्थित थे। उनके परिवार द्वारा स्व. देवनाथ साहू की स्मृति मे उनकी धर्म पत्नि श्रीमती दुलारी बाई साहू द्वारा इसका आयोजन किया गया। परिवार मे पुत्री रत्न का नामकरण (छट्ठी) समारोह भी आयोजित किया गया। कथावाचन के दौरान आचार्य पंडित श्री चौबे ने गोकर्ण देवपूजन से नव दिनों के बीच हिरण्याक्ष वध, जड़भरत चरित्र, गजेन्द्र मोक्ष, कृष्ण जन्मोत्सव, रूखमणी विवाह, सुदामा चरित्र, परिक्षित मोक्ष एवं अंतिम दिन को गीता पूर्णाहुति, तुलसी वर्षा, हवन कर्म, कपिला तर्पण, सहस्त्र धारा आदि का वाचन किया। बीते दिनों प्रथम दिन नवागढ़ के गलियों का भ्रमण कर कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में माता एवं बहनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आसपास के श्रद्धालुओं ने इसका पुण्य लाभ अर्जित किया। ऐसा माना जाता है कि जब-जब भाग्योदय का उदय होता है तब-तब परिवार में कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है।

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