सर्पगंधा की खेती में प्रति एकड़ 1 लाख खर्च कर कमा सकते हैं 4 लाख - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Friday, February 26, 2021



सर्पगंधा की खेती में प्रति एकड़ 1लाख खर्च कर डेढ़ साल में कमाए 4 लाख

गौ आधारित खेती कर अपनाकर ले रहे अच्छी पैदावार

नवागढ़ से दुजेय साहू की रिपोर्ट 

'हमसफर मित्र न्यूज'। 



नवागढ़। यदि किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ औषधीय पौधे की खेती करें तो वे ज्यादा लाभ में रह सकते हैं।नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत पारम्परिक खेती के साथ साथ औषधीय गुणों से युक्त सर्पगंधा की खेती एक एकड़ में किए थे।


किशोर ने बताया कि सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है। महज एक लाख रुपये खर्च कर डेढ़ साल में 4 लाख रुपये की कमाई किए हैं। सर्पगंधा के फल, तना, जड़ सभी चीजों का उपयोग होता है, इसलिए मुनाफा ज्यादा होता है। किशोर कहते हैं कि इसकी खेती वे केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) लखनऊ के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कर रहे हैं और इसका फायदा भी उन्हें मिल रहा है। एक एकड़ में सर्पगंधा का करीब 3 क्यूंटल बीज और 25-30 क्विंटल जड़ का उत्पादन होता है सूखने पर 8 क्यूंटल होता है और प्रति किलो 300 से 500 रुपये में इसकी बिक्री होती है। सर्पगंधा की कई प्रजातियां होती हैं। इसमें राववोल्फिया सरपेंटिना प्रमुख है। राववोल्फिया टेट्राफाइलस दूसरी प्रजाति है, जिसे औषधीय पौधों के रूप में उगाया जाता है। सर्पगंधा की जड़ औषधि के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। इस पौधे के नर्म जड़ से सर्पेंन्टीन नामक दवा निकाली जाती है। इसके अलावा जड़ में रेसरपीन, सरपेजीन, रौलवेनीन, टेटराफिर्लीन आदि अल्कलाइड भी होते हैं। यह एक छाया पसंद पौधा है, इसलिए आम, एवं अमरूद पेड़ के आसपास प्राकृतिक रूप से उगाया जा सकता है।


कैसे तैयार करें पौधे


किशोर कहते हैं कि बीज द्वारा नर्सरी में पौधा तैयार किया जा सकता है। इसके लिए ऊंचा नर्सरी बनाते हैं। बीज की बुआई वर्षा के आरंभ में (मई-जून) में करते हैं और रोपाई अगस्त माह में करते हैं। एक एकड़ के लिए 4-5 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बुआई के पहले बीज को पानी में 24 घंटे पानी में भींगा लेने पर अंकुरण अच्छा होता है। बीज अंकुरण कम (15-30 प्रतिशत) होता है और 3-4 सप्ताह समय लगता है। नर्सरी में 20-25 सेंटीमीटर के अंतर पर 2 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे में 2-5 सेंटीमीटर की दूरी पर गिराते हैं। दो माह के बाद तैयार पौधे को 45 सेंटीमीटर गुना 50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करते हैं।


औसत उपज प्रति एकड़ गीला जड़ 25-30 क्विंटल,सूखने पर 6 से 8 क्यूंटल होता है 300-400 रुपए प्रति किलो में होती है बिक्री। 


ऐसे तैयार करें कलम

जड़ में कलम के लिए पेंसिल मोटाई के 2.5 से 5 सेंटीमीटर लंबाई के छोटे छोटे टुकड़े किए जाते हैं। इसे 5 सेंटीमीटर की गहराई पर पौधशाला में लगाते हैं। तीन सप्ताह बाद कोंपल आने पर तैयार खेत में रोपाई करते हैं। तना से पौधा तैयार करने के लिए 15-20 सेंटीमीटर पेंसिल मोटाई के कलम बनाते हैं। हरेक कलम में 2-3 नोड (गांठ) रहना जरूरी है। कलम को पौधशाला में लगाते हैं। 4-6 सप्ताह में रूटेड कटिंग को तैयार खेत में रोपाई करते हैं। एक एकड़ में पंद्रह हजार पौधे लगते हैं। 


मई में करें खेत की जुताई

इस पौधे को रोपने के लिए मई में खेत की जुताई करें। वर्षा आरंभ होने पर गोबर की सड़ी खाद 75 क्विंटल प्रति एकड़ देकर मिट्टी में मिला दें। दो बार अक्टूबर एवं मार्च में दें। कोड़ाई कर खरपतवार निकाल दें। जनवरी माह से लेकर वर्षा काल आरंभ होने तक 30 दिन के अंतराल पर और जाड़े के दिनों में 45 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। सर्पगंधा डेढ़ से दो वर्ष की फसल है।


10 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर होती है खेती


कृषि विशेषज्ञ देवी वर्मा कहते हैं कि इसकी खेती उष्ण एवं सम शीतोष्ण जलवायु में की जा सकती है। 10 डिग्री सेंटीग्रेड से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक इसकी खेती के लिए बेहतर तापमान है। जून से अगस्त तक इसकी खेती की जाती है। 1200-1800 मिलीमीटर तक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। सर्पगंधा की खेती बीज के द्वारा, तना कलम एवं जड़ कलम के द्वारा की जा सकती है। एक एकड़ में 15000 पौधे लगते हैं। 


ये हैं औषधीय गुण


स्थानीय लोग इसे सांप काटने में प्रयोग में लाते हैं।


गांव में औरतें इसका उपयोग बच्चों को सुलाने में करती हैं, क्योंकि इसमें सुस्ती का गुण होता है। प्रसव काल में भी इसका उपयोग किया जाता है।


मानसिक रोगी को रिलैक्स करने के लिए इसे दिया जाता है, इससे रोगी शांत हो जाता है। यह रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को कम करता है।


जड़ के एक्सट्रेक्ट को पेचिस और हैजा में इसका इस्तेमाल होता है।


पेटदर्द और पेट के कीड़े को मारने के लिए गोल मिर्च के साथ जड़ का काढ़ा बनाकर दिया जाता है।

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