रामचरित मानस भाग - 5, कुम्हार की सोच - HUMSAFAR MITRA NEWS

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Wednesday, July 29, 2020

रामचरित मानस भाग - 5

कुम्हार की सोच 


दो गंगा है
1) मान सरोवर गंगा  जो भगवान के चरण से निकली है
2)रामचरित्र मानस गंगा  जो
भगवान के आचरण से निकली है




जय श्रीराम

पंडित प्रदुम्न उपाध्याय मुढ़ीपार बिल्हा ९९२६२७३७७२


'हमसफर मित्र'। 

 पूँछेहु रघुपति  कथा प्रसंगा
सकल लोक जग पावनी गंगा

 भगवान शंकर ने कहा  हे पार्वती कथा रूपी गंगा में  जो डुबकी लगाएगा उनका जीवन बदल जायेगा कथा की परिकाष्ठा है कथा में मन बदलता है  मन से जीवन बदलता है  भगवान शंकर ने पार्वती जी को  दृष्टांत सुनाया
 कुम्भकार (कुम्हार की)
 कुम्भकार ने देखा कुछ धंधा करना चाहिये उसने चक्के पर मिट्टी रक्खा  क्या बनाना  चाहिये सोचा आजकल गांजा पीने वाले बहुत हैं चिल्मे बनाना चाहिये  अच्छी दुकान चलेगी ऐसा कुम्हार के मन मे विचार आया चिल्मे बना लू
 कुम्हार के पत्नि ने कहा क्यो जी  2 चार रुपये का धंधा करते हो   अभी गर्मी चल रहा है कुछ मोटा धंधा करो  सुराही बनाओ 50, 70,100 , रुपये तक कुम्हार का विचार बदल गया  पत्नि की सलाह मान कर चक्के में ज्यादा मिट्टी रखी
 और सुराही बनाने लगा  उसी मिट्टी के अंदर से आवाज आई  अरे कुम्भकार पहले क्या बना रहा था  अब क्या बना रहा है  कुम्भकार ने कहा पहले मैं चिल्म बना रहा था  अब मेरा विचार बदल गया अब मैं सुराही बना रहा हूं मिट्टी के अंदर से आवाज आई अरे भैया कुम्हार  तेरा तो विचार बदल है मेरा तो जीवन बदल गया है  कुम्हार ने कहा क्यो यदि इस मिट्टी से चिल्मे बनता तो मैं स्वयं ही जलती और दुसरो के कलेजा को जलाकर राख करती दूसरे की छाती जलाती  लेकिन तू ने सुराहियों का विचार बनाया है तो  अब मैं स्वयं भी शीतल रहूंगी और दूसरे के कंठ को शीतल रखूंगी अपने आप सीतल रहूंगी   व्यक्ति के विचार बदलते है तो जीवन बदलता है  शंकर जी ने कहा देवी पार्वती इन कथा का महत्व यह है  यदि कोई कथा रूपी गंगा में स्नान करता है तो पाप करने की प्रवित्ति छूट जाती है शंकर जी ने कहा देवी पार्वती मेरे सिर पर जो गंगा है वह  भगवान  के चरण से निकली मान सरोवरगंगा  है 
लेकिन कथा रूपी गंगा भगवान के आचरण से निकली है  गंगा है ,,
पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा
 सकल लोक जग पावनी गंगा
 शंकर जी ने कहा देवी पार्वती 1एक है मान सर गंगा,2 दूसरा है रामचरित्र मानस को सरोवर की उपाधि दी गई है उस     मान सर गंगा में 
केवल एक रस है
लेकिन रामचरित्र मानस सरोवर में 9 नव रस है जो  आज तुम्हारे सामने  प्रादुर्भाव होने जा रहा है इस मान सर गंगा,रामचरित सरोवर में बहुत अंतर है
 क्योकि मानसर गंगा में हंस रहते है   देवी  लेकिन रामकथा रूपी सरोवर में परमहंस रहते है

यहाँ नव रस है रस एक वहां यहाँ वाणी है संत की पानी नही  यहाँ वाणी है वहाँ पानी है  और सुनो पार्वती
इस रामचरित्र के मानस से
उस मानस की तुलना ही नही बोले क्यो
 तन का मल तो धुलता है वही
लेकिन मन का मल तो धुलता है यही
वहाँ डूबता जो मर जाता वही(गंगा)में
यहाँ डूबता जो तर जाता यही
 उस मानसर में तैरना नही आता गहराई में चले गये तो डूबना  निशिचित है लेकिन रामचरितमानस गंगा में जो डूबता जो तर जाता यही

जय श्रीराम
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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