सबसे उत्तम मित्र हैं ज्ञान
'हमसफर मित्र'।
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को भूत-भविष्य के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। उसे इन बातों को त्याग करके वर्तमान में जीना चाहिए। विवेकवान व्यक्ति वर्तमान में जीते हैं। स्त्री-पुरुष के मुकाबले दोगुना आहार ग्रहण करते हैं। वह चार गुणा बुद्धिमान और चालाक, छह गुणा साहसी और कामेच्छा पुरूषों के अपेक्षा उनमे आठ गुणा होती हैं। इन्हीं कारणों से वह पुरूषों को पराजित करती है।आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस देश में लोग भूख से पीड़ित होते हैं, वहा पर हवन-पूजन में घी और अनाज को जलाना देशद्रोही की भांति है। ऐसे लोग मंत्रों के शुद्ध भाव और पूजा के उद्देश्य को अपवित्र करते हैं। सर्वप्रथम भूखों को भोजन करवाना चाहिए, जिससे हवन करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
किसी चीज को देखने का प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना नजरिया होता है। अपने गुप्त रहस्य दूसरों को बताकर हम अपनी बर्बादी को स्वयं आमंत्रित करते हैं। यह एक कड़वी सत्य है कि प्रत्येक मित्रता के पीछे स्वार्थ छुपा होता है। ज्ञान सबसे उत्तम मित्र हैं। शिक्षित व्यक्ति को प्रत्येक जगह सम्मान मिलता है। ज्ञान ही एक ऐसा शस्त्र हैं जो सुंदरता और यौवन को पराजित कर देता है। बुद्धिमान लोगों को अपना समय व्यर्थ के कार्यों में नष्ट न कर पठन-पाठन और मनन में व्यतित करना चाहिए। आदमी को राजा, स्त्रीयों और आग से दूरी नहीं बनानी चाहिए और उनके अधिक करीब भी नहीं जाना चाहिए।
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