[प्रेरक प्रसंग]
कोई भी फैसला लेने के पहले सौ बार सोचें
कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो कुछ भी देखते ही मन में कुछ भी सोचने लगते हैं पर होता कुछ और, अतः गलत सोचने के पहले उसे परखें फिर निर्णय ले।
एक संत प्रातः काल भ्रमण के लिए समुद्र के किनारे पहुंचे। उन्होंने एक पुरुष को देखा जो एक स्त्री की गोद में सिर रखकर सोया हुआ था। पास ही शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी। संत ने विचार किया कि यह मनुष्य कितना तामसी प्रवृत्ति और भोग विलासी है जो प्रातः काल शराब का सेवन कर स्त्री की गोद में सिर रखकर प्रेमालाप कर रहे हैं। कुछ देर बाद समुद्र में से बचाओ - बचाओ की आवाज़ आई। संत ने देखा कि स्त्री के गोद में सिर रख कर सोया हुआ आदमी उठा और डूबने वाले को बचा लिया। संत ने उसके पास गए और बोले भाई, आप कौन हो और यहां क्या कर रहे हो..? वह व्यक्ति बोला, मैं एक मछुआरा हुं। आज कई दिनों के बाद समुद्र से मछली पकड़ने के बाद आज प्रातः जल्दी यहां लौटा हूँ। मेरी मां मुझे लेने के लिए आई थी और साथ में घर में कोई दुसरा वर्तन नहीं होने के कारण इस शराब की बोतल में पानी लेकर आई। कई दिनों की सफर से थका हुआ था, पानी पी कर थकान मिटाने के लिए मां की गोद में सिर रख कर ऐसे ही सो गया। तब संत के आखों में आंसू भर आए कि मैं कैसा पातक मनुष्य हूं, जो देखा उसके बारे में मैंने गलत विचार किया जबकि वास्तविकता कुछ अलग थी।
दोस्तों, कुछ भी बात को सोचने के पहले नकारात्मक सोच को पहले नहीं सोचना चाहिए। सकारात्मक सोच से देखिए, हकीकत क्या है फिर उस पर निर्णय लेना उचित होगा।
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