'आज का सेहत'
समय से पहले महिलाओं को क्यों बंद हो रहे हैं पीरियड्स ये हैं प्री मेनोपॉज के कारण
प्रस्तुति - 'मनितोष सरकार', (संपादक)
'हमसफर मित्र न्यूज'
दुनियाभर में हर वर्ष 18 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड मेनोपॉज डे’ के रूप में मनाया जाता है। मेनोपॉज को हिंदी में रजोनिवृत्ति के नाम से जाना जाता है। विश्व रजोनिवृत्ति दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य स्त्रियों को मेनोपॉज से जुड़ी समस्याओं के प्रति सतर्क करना है। दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ स्त्रियों के शरीर में भी कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन देखने को मिलते हैं। मेनोपॉज भी उम्र के साथ स्त्रियों के शरीर में होने वाला एक तरह का परिवर्तन ही है, जिसके बाद स्त्रियों को पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। आमतौर पर महिलाएं 45 वर्ष से लेकर 55 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज की स्थिति तक पहुंचती हैं। लेकिन आजकल खानपान की खराब आदतें, बढ़ता स्ट्रेस और भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल की वजह से स्त्रियों में पीरियड्स कम उम्र में ही आना बंद हो जाते हैं। जो बाद में स्त्रियों के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का कारण भी बनने लगते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्या है प्री-मैच्योर मेनोपॉज, प्री-मैच्योर मेनोपॉज के कारण लक्षण और उपाय।
वरिष्ठ महिला बीमारी विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और प्रजनन जानकार डाक्टर वैशाली शर्मा एमडी (एम्स, नयी दिल्ली) कहती हैं कि आमतौर पर महिलाएं 42 वर्ष से लेकर 45 वर्ष की उम्र तक मेनोपॉज की स्थिति में पहुंच जाती हैं, जो कि सामान्य बात है, आप इसे प्री-मेनोपॉज नहीं कह सकते हैं। लेकिन यदि किसी स्त्री को 40 वर्ष से कम उम्र में ही पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, तो उसे प्री-मेनोपॉज बोला जाता है। हालांकि आजकल स्त्रियों में 45 वर्ष की उम्र से पहले ही मेनोपॉज की परेशानी देखी जा रही है। बात यदि एक औसत अनुमान की करें तो पूरे विश्व में प्री-मेनोपॉज के लिए स्त्रियों की उम्र 50-51 रखी गई है जबकि हिंदुस्तान में यह 48 वर्ष है। हालांकि कई बार स्त्रियों को 40 वर्ष की उम्र में भी मेनोपॉज प्रारम्भ हो सकता है। लेकिन स्त्रियों को होने वाले प्री-मेनोपॉज के पीछे कई बार ओवरी हेल्थ, आनुवांशिकता, खराब लाइफस्टाइल, अल्कोहल का अधिक सेवन, स्मोकिंग, कीमोथैरेपी और ऑटो इम्यून सिंड्रोम उत्तरदायी हो सकते हैं।
क्या है प्री-मेनोपॉज-
45 और 55 वर्ष की उम्र के बीच होने वाले मेनोपॉज के दौरान स्त्री के अंडाशय अंडे का उत्पादन बंद कर देते हैं, जिसकी वजह से एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है। बता दें, एस्ट्रोजेन वह हार्मोन है जो प्रजनन चक्र को नियंत्रित करने में सहायता करता है। लेकिन प्री-मेनोपॉज आमतौर पर कम उम्र में पीरियड्स बंद होने को बोला जाता है। इस दौरान स्त्रियों के गर्भवती होने की आसार बहुत कम हो जाती है। प्री-मेनोपॉज की परेशानी लाइफस्टाइल और खानपान से जुड़ी परेशानी हो सकती है।
प्री-मेनोपॉज के कारण-
प्री-मेनोपॉज के पीछे कई कारण उत्तरदायी हो सकते हैं, जैसे ओवरी में सर्जरी, किसी रोग में दिया जाने वाला रेडिएशन, अधिक अल्कोहल पीना और स्मोकिंग करना, कीमोथैरेपी और आनुवांशिकता है। इसके अतिरिक्त कुछ ऑटोइम्यून कंडिशन या ऑटो इम्यून सिंड्रोम ऐसे हैं जो फीमेल्स में अधिक होते हैं जिसक वजह से समय से पहले पीरियड्स बंद हो जाते हैं।
प्री-मेनोपॉज के लक्षण-
प्री-मेनोपॉज के दौरान स्त्रियों को अनियमित पीरियड्स, चिड़चिड़ापन, हॉट फ्लैशज, वजाइना में खुजली,ब्रेस्ट में सूजन, गर्मी अधिक लगना,वजाइना में ड्राईनेस, ब्रेस्ट में हल्का दर्द, संभोग की ख़्वाहिश समाप्त होना, मूड स्विंग, बहुत ही अधिक पसीना आना,बिना वजह थकान बने रहना, तनाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ये लक्षण मेनोपॉज के 6-7 महीने पहले से ही दिखने प्रारम्भ हो जाते हैं।
प्री-मेनोपॉज से निपटने के उपाय-
स्वस्थ आहार-
महिला डाइट में पौष्टिक आहार शामिल करके शारीरिक और भावनात्मक, दोनों रूप से बेहतर महसूस कर सकती है। स्त्रियों को अपनी डाइट में खासतौर पर कैल्शियम और विटामिन-डी रिच खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मेनोपॉज के बाद स्त्रियों में ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।
व्यायाम-
अच्छी नींद लेने और नियमित रूप से व्यायाम करने से स्त्री को इस दौरान महसूस होने वाले तनाव से लड़ने में सहायता मिलेगी। मेनोपॉज के कारण वजन भी तेजी से बढ़ता है। वजन नियंत्रित रखने में भी व्यायाम आपकी सहायता कर सकता है।
गर्म तासीर वाले फूड से रहे दूर-
कैफीन, शराब और मसालेदार भोजन का सेवन करने से परहेज करें। इनके सेवन से मेनोपॉज के दौरान बहुत अधिक गर्मी लगती है, क्योंकि ये खाद्य पदार्थ मेनोपॉज के दौरान होने वाले ‘हीट फ्लैश’ को बढ़ावा देते हैं।
पानी खूब पिएं-
मेनोपॉज की स्थिति स्त्री की त्वचा, बालों और नाखूनों को रूखा बना सकती है। इस परेशानी से बचने के लिए स्त्री को पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने चाहिए।
डॉक्टर की सलाह-
प्री-मेनोपॉज के लक्षण दिखने पर आपको चिकित्सक से राय जरूर लेनी चाहिए।
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