पाषण भेद की खेती किसानों को दे सकती हैं आर्थिक स्वावलंबन
पथरी की बनती है दवाई
'हमसफर मित्र न्यूज'।
कृषि प्रधान जिला बेमेतरा का मुख्य व्यवसाय खेती बाड़ी है। यहां का किसान कई बार से सूखा और प्राकृतिक आपदाओं और सोयाबीन के कम होते उत्पादन के चलते फसल बदलने मजबूर है। इन्ही सभी समस्याओं को अवसर में बदलने के लिए नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत ने प्राकृतिक आपदा से भागने के वजाय लड़ने की ठानी। किशोर राजपूत परंपरागत खेती के साथ ही साथ बाज़ार माँग के अनुसार औषधीय पौधों की व्यवसायिक खेती करने के लिए कदम बढ़ाया। किशोर ने अपने एक एकड़ भर्री खेत में पाषण भेद (कोलियस/ पत्थरचूर) के पौधे लगाए।
साठ हजार रुपये का मुनाफा
औषधीय खेती सलाहकार रोहित श्रीवास्तव और लक्मन श्रीवास ने बताया कि पाषाण भेद के पौधे लगाने पर प्रति एकड़ करीब 20 हजार रुपए की लागत आती है। ये फसल 6 माह में तैयार हो जाती है। उन्होंने कहा कि पाषाण भेद की खेती साल में दो बार की जा सकती है। एक एकड़ फसल में आठ क्यूंटल पाषाण भेद की सूखी जड़ें तैयार होती हैं। जिनका बाजार भाव 80 रुपये प्रति किग्रा है।सभी खर्चे निकालने के बाद 65 हजार रुपए की आमदनी होता हैं। जैविक विधि से तैयार होने वाली इस फसल में रासायनिक उर्वरक और कीट नाशकों का कतई प्रयोग नहीं होता और जंगली जानवर भी इसको नुकसान नहीं पहुंचाते।
जड़ों में पाया जाता फोर्स कोलीन
पाषाण भेद (कोलियस फोर्स कोलाई) पौधे के अंदर पत्थर को गलाकर खत्म कर देने की क्षमता होती है इसलिए इसे पत्थरचूर, पाषाणभेद व पथरचट नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में होता है। कोलियस एक नया औषधीय पौधा है। इसका उल्लेख प्राचीन चरक संहिता में तो नही है लेकिन वैज्ञानिक शोधों के आधार पर इसकी उपयोगिता वर्तमान में सिद्ध हो चुकी है।पौधे की ऊंचाई दो से पांच फीट होती है। जो देखने में अजवाइन के पौधे से मिलता जुलता होता है। इसकी जड़ों में फोर्स कोलीन नामक तत्व पाया जाता है, जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। बढ़ती मांग को देखकर फिलहाल इसकी खेती तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश व कर्नाटक और महाराष्ट्र में कई वर्ष से की जा रही है।
इन रोगों के ईलाज के लिए बनती दवाएं
पाषाण भेद पथरी व हृदय रोग के साथ कोलियस से इंजाइमा, हाइपरटेंशन,अस्थमा,एलर्जी, लघुशंका,चर्म रोग,उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए दवाइयों का निर्माण होता है। पाषाण भेद में व्यक्ति के शरीर में संग्रहीत वसा को तोड़ने की भी अद्भुत क्षमता मौजूद है।
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