शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज, इस शुभ मुहूर्त में करें घटस्थापना, जानें विधि, सामग्री सहित संपूर्ण जानकारी
प्रस्तुति - जागृति सोनी बरसले
'हमसफर मित्र न्यूज'
मां शैलपुत्री की पूजा विधि :
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री को धूप, दीप दिखाकर अक्षत, सफेद फूल, सिंदूर, फल चढ़ाएं. मां के मंत्र का उच्चारण करें और कथा पढ़ें. भोग में दूध, घी से बनी चीजें चढ़ाएं. हाथ जोड़कर माता की आरती उतारें. अनजाने में हुई गलतियों की माफी मांगे और हमेशा आशीर्वाद बनाए रखने की माता रानी से प्रार्थना करें.
नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें कलश स्थापना:
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें. मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़क कर इसे शुद्ध कर लें. इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें. मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें. एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखें. घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान किया जाता है.
कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा का शुभ मुहूर्त :
प्रतिपदा तिथि के दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में ही करना चाहिए. आज अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:38 मिनट से दोपहर 12:23 मिनट तक है. घट स्थापना के लिए यह मुहूर्त शुभ है. इसी मुहूर्त में मां शैलपुत्री की पूजा भी कर सकते हैं.
मां शैलपुत्री का मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
ऐसा है मां शैलपुत्री का रूप :
शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है पर्वत की बेटी. पौराणिक कथा के अनुसार माँ शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी और दक्ष की पुत्री थीं. मां शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है. नंदी बैल इनकी सवारी है.
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज :
आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. आज नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा मां के नौ रूपों को की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है.
कलश स्थापना मंत्र:
कलश स्थापित करते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। मान्यता है कि घटस्थापना करने से मां दुर्गा 9 दिन तक घर में वास करती हैं. परिवार में खुशहाली आती है.
कैसे करें घटस्थापना ?
नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें. मिट्टी के पात्र में खेत की स्वच्छ मिट्टी डालकर उसमें 7 प्रकार के अनाज बोएं. ईशान कोण में पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर कलश स्थापित करें. कलश में सिक्का, गंगाजल, सुपारी, अक्षत, दूर्वा डालकर उसपर आम के पत्ते लगाएं और जटा वाला नारियल रख दें. नारियल पर मौली बांधे. जौ वाला पात्र चौकी पर रखें, अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. अब गणपति, समस्त ग्रहों और मां दुर्गा का आव्हान करें.
कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ समय:
रात के समय घटस्थापना नहीं करनी चाहिए।. घटस्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है.
शारदीय नवरात्रि 2023 चौघड़िया मुहूर्त:
चर (सामान्य) - सुबह 07:48- सुबह 09:14
लाभ (उन्नति) - सुबह 09:14 - सुबह 10:40
अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 10:40 - दोपहर 12:07
शुभ (उत्तम) - दोपहर 01.33 - दोपहर 02.59
राहुकाल - शाम 04.26 - शाम 05.52
बेहद शुभ योग में शुरू होगी नवरात्रि:
15 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि के पहले दिन बुधादित्य योग, सुनफा योग, वेशी योग, लक्ष्मी योग का अद्भुत संयोग बन रहा है. इन शुभ योग में कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा का कभी न खत्म होने वाल फल मिलेगा.
9 देवियों के 9 रंग देंगे विशेष लाभ:
मां शैलपुत्री - नारंगी
मां ब्रह्मचारिणी - सफेद
मां चंद्रघंटा - लाल
मां कूष्मांडा - नीला
मां स्कंदमाता - पीला
मां कात्यायनी - हरा
मां कालरात्रि - स्लेटी
मां महागौरी - बैंगनी
मां सिद्धिदात्री - मयूर वाला हरा रंग
नवरात्रि घटस्थापना की सामग्री:
कलश स्थापना के लिए कुल्हड़ (ज्वारे बोने के लिए), मौली, कलश के साथ ढक्कन, पांच आम के पत्ते, रोली, सिक्का, शुद्ध मिट्टी, लाल कपड़ा, हल्दी गांठ, गेहूं, गंगाजल और अक्षत. इसके साथ ही पीतल या मिट्टी का दीपक, जौ या गेहूं, जटा वाला नारियल, लौंग, इलायती, पान, इत्र, 7 तरह के अनाज, रूई बत्ती।
शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां :
15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
शारदीय नवरात्रि 2023 कलश स्थापना मुहूर्त:
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि: 14 अक्टूबर 2023, रात 11.24 - 15 अक्टूबर 2023, दोपहर 12.32
घटस्थापना दिन - रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त - प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक
15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी. इस साल माता रानी हाथी पर सवार होकर भक्तों के बीच आएंगी. माता का ये वाहन शुभ माना जाता है, इससे भक्तों के जीवन में खुशहाली आएगी.
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि तक चलती है और विजयादशमी पर इसका समापन होता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 24 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगी. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि से जुड़ी समस्त जानकारी.
शारदीय नवरात्रि 2023 तिथि :
आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.
नवरात्रि में माता के आगमन-प्रस्थान की सवारी :
देवी की सवारी नवरात्रि के पहले दिन से तय होती है। इस बार रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं, जो कि सुख-समृद्धि का संकेत है। वहीं, 23 अक्टूबर, सोमवार नवरात्रि का आखिरी दिन रहेगा. 24 अक्टूबर को मां विदा हो जाएंगी. इस दिन मंगलवार है तो माता रानी मुर्गे पर सवार होकर अपने लोक लौटेंगी.
नवरात्रि में देवी की पूजा और घटस्थापना का महत्व:
मां दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि बहुत पवित्र दिन माने जाते हैं. कहते हैं जिस तरह सावन को शिव पूजा के लिए शुभफलदायी माना गया है उसी तरह नवरात्रि के 9 दिन हर संकट, कष्ट, दुख, दोष दूर करने के लिए लाभकारी होते हैं. इन नौ रातों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा से माता रानी सालभर भक्तों पर मेहरबान रहती हैं, जातक को सुख, समृद्धि, धन वृद्धि, वंश वृद्धि और सुखी वैवाहिक का आशीर्वाद मिलता है.
मां दुर्गा के 9 स्वरूप:
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
9 शक्तियों के नाम - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि 'हमसफर मित्र न्यूज' किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
No comments:
Post a Comment